गेहू मे युरीया कब ओर कितना दें..जाने सही मात्रा
गेहूं की फसल से भरपूर पैदावार लेने के लिए यूरिया (नाइट्रोजन) का सही समय और सही मात्रा में इस्तेमाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक हेक्टेयर गेहूं की फसल के लिए लगभग 120 से 125 किलो नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन की इस मात्रा को एक साथ देने के बजाय किस्तों में देना अधिक फायदेमंद होता है, ताकि पौधों को उनकी वृद्धि के विभिन्न चरणों में निरंतर पोषण मिलता रहे।
यूरिया देने का सबसे प्रभावी तरीका इसे तीन हिस्सों में बांटकर उपयोग करना है। पहला हिस्सा बुवाई के समय ‘बेसल डोज’ के रूप में दिया जाना चाहिए। इसके बाद, नाइट्रोजन की बाकी बची हुई मात्रा को दो बराबर भागों में बांटकर पहली और दूसरी सिंचाई के समय देना चाहिए। आमतौर पर किसान बुवाई के समय डीएपी का उपयोग करते हैं, जिससे पौधों को कुछ मात्रा में नाइट्रोजन पहले ही मिल जाती है, इसलिए यूरिया की गणना उसी के अनुसार करनी चाहिए।
फसल के विकास के लिए पहली सिंचाई का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है, जो आमतौर पर बुवाई के 20 से 25 दिन बाद आता है। इस दौरान गेहूं में ‘कल्ले’ (टिलरिंग) निकलने की प्रक्रिया शुरू होती है। यदि इस समय यूरिया की सही मात्रा पौधों को मिल जाए, तो कल्लों की संख्या अधिक होती है और फसल घनी व मजबूत बनती है। आप नाइट्रोजन की कुल मात्रा का एक बड़ा हिस्सा इस चरण में दे सकते हैं ताकि पौधों का वानस्पतिक विकास तेजी से हो सके।
अक्सर कुछ किसान भाई बुवाई के समय ही सारा यूरिया डाल देते हैं और बाद में सिंचाई के समय इसका प्रयोग नहीं करते, जो कि एक गलत तरीका है। इससे न केवल उर्वरक की बर्बादी होती है, बल्कि पौधों को बाद के चरणों में पोषण की कमी का सामना करना पड़ता है। अच्छी पैदावार के लिए हमेशा सलाह दी जाती है कि यूरिया को किस्तों में ही दें और दूसरी सिंचाई के बाद भी आवश्यकतानुसार नाइट्रोजन प्रबंधन पर ध्यान दें।