करीब 10 वर्षों तक आसमान में चाँद ही नहीं था…! इतिहास के अनुसार, सन 1110 ईस्वी के आसपास आसमान से चंद्रमा अचानक गायब हो गया था। यह घटना कुछ दिनों या महीनों की नहीं थी, बल्कि पूरे 10 वर्षों तक लोगों को आसमान में चंद्रमा के दर्शन नहीं हुए। उस समय विज्ञान का इतना प्रसार नहीं हुआ था, जिसके कारण लोगों के बीच भारी डर का माहौल पैदा हो गया था। बहुत से लोगों को लगा कि यह ईश्वर का प्रकोप है या फिर दुनिया का अंत करीब आ गया है। इस भीषण घटना की वजह से समाज में बड़े पैमाने पर अंधविश्वास फैल गया और लोगों ने इसे एक दैवीय संकट मान लिया था।
जब वैज्ञानिकों ने इस रहस्यमयी घटना का गहराई से अध्ययन किया, तो इसका मुख्य कारण ज्वालामुखियों का भीषण विस्फोट होना सामने आया। शोधकर्ताओं के अनुसार, 1114 में आइसलैंड के ‘हेकला’ ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था, जिसे स्थानीय लोगों ने ‘नरक का द्वार’ कहा था। हालांकि, 1110 में चंद्रमा के ओझल होने से इसका सीधा संबंध पूरी तरह मेल नहीं खा रहा था। इसके बाद गहन शोध में पता चला कि जापान के ‘माउंट आसमा’ ज्वालामुखी का 1108 में हुआ प्रचंड विस्फोट इसका असली कारण था। इस विस्फोट से निकली राख और धूल वातावरण में इतनी सघनता से फैल गई थी कि उसने चंद्रमा के प्रकाश को पूरी तरह से ढक लिया था।
















